
आकस्मिक दुर्घटनाओं में प्राकृतिक चिकित्सा
जल जाने पर
किसी भी अंग के जल जाने पर तुरंत उस अंग को ठंडे पानी में डुबो दें। यदि डुबोया न जा सके तो उस अंग पर लगातार ठंडे पानी की धार डालते रहें या ठंडी पट्टी रखें। जब तक जलन शान्त न हो, पानी डालते रहें। इससे छाले नहीं पड़ते, यदि पड़ते भी हैं तो थोड़े और बहुत छोटे।
तेज धार से कटने पर
चाकू, छुरी, ब्लेड इत्यादि से यदि शरीर का कोई भी भाग कट जाये तो उस भाग पर ठंडे पानी की पट्टी बाँध दें या पानी की धार डालते रहे। ठंडा पानी बहते खून को तुरंत रोक देता है। साथ ही कटे जख्म को बहुत जल्दी भरता है।
जहरीले कीट के काटने पर
ततैया, मधुमक्खी, बिच्छू या अन्य किसी कीडे के काटने पर उस स्थान को पानी में डुबो दें। थोडी ही देर में पीडा और जलन शांत हो जाती है। पानी कीडे के जहर की गर्मी को खींचकर बाहर कर देता है।
मोच
पाँव के फिसल जाने अथवा किसी गड्ड़े में गिर जाने पर टखने के जोड पर से पाँव भीतर या बाहर की ओर मुड जाता है तथा जोड के लिगामेंट फट जाते हैं जिससे सूजन आ जाती है और दर्द होता है। इस दशा को मोच आना कहते हैं। इसी तरह कलाई के जोड में भी कभी-कभी मोच आ जाती है।
मोच वाले स्थान पर बर्फ के ठंडे पानी की गद्दी रखकर पट्टी बाँध दें। सर्दी में गर्म पानी का प्रयोग करें। विटामिन सी प्रधान खाद्यों का सेवन करें।
मोच के स्थान पर हल्दी, गेहूँ का आटा, सरसों का तेल गर्म करके पोटली में बाँधकर प्रयोग करने से लाभ होगा।