गर्भाशय संबंधी रोग (Uterus Diseases)
गर्भाशय का टलना (Prolapse of the Uterus)
लक्षण : पेट और कमर के निचले हिस्से में बैचेनी, ऐसा आभास होना कि कुछ नीचे आ रहा है, माहवारी में अधिक स्राव, कम मात्रा में योनि स्राव, बार-बार पेशाब आना, सम्भोग में कठिनाई।
कारण :- भोजन दूँस-दूँस कर खाना, गैस, पुरानी कब्ज, तंग कपड़े पहनना। पेट की कमजोर आंतरिक माँसपेशियाँ, व्यायाम की कमी, अन्य दूसरे रोग, प्रसव (Delivery) के समय बरती गई असावधानियाँ।
गर्भाशय की सूजन (Inflammation of the Uterus)
लक्षण :- हल्का बुखार, सिरदर्द, भूख न लगना, कमर और पेट के निचले भाग में दर्द, योनि में खुजलाहट।
कारण :- माहवारी के समय ठंड लग जाना, अधिक सहवास, गर्भाशय का टलना, औषधियों का सेवन, गलत आहार विहार।
गर्भाशय संबंधी रोगों का उपचार :-
चार-पाँच दिन केवल रसाहार, फिर अपक्वाहार और फिर संतुलित आहार पर आयें।
नमक, मिर्च मसाला, तली भुनी, मिठाईयाँ इत्यादि से परहेज रखें।
पेट पर मिट्टी पट्टी, एनिमा, गर्म ठंडा कटिस्नान करें, टब में नमक
डालकर पन्द्रह-बीस मिनट तक बैठें।
प्रतिदिन दो-तीन बार एक-दो घंटा पाँव को एक फुट ऊँचा उठाकर लेटें।
पूर्ण विश्राम एवं शवासन करें।
अश्विनी मुद्रा का अभ्यास करें।
मूलाधार चक्र एवं स्वाधिष्ठान चक्र शक्ति विकासक क्रिया का नियमित अभ्यास करें।