जुकाम (Cold) 

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लक्षण : नाक से पानी बहना, छीके आना, ठंड लगना व सिर भारी -भारी प्रतीत होना। साँस लेने में कठिनाई होती है। कभी-कभी हल्का-या बुखार भी हो जाता है, काम करने का मन नहीं करता तथा बात-बात पर गुस्सा आता है। 

कारण : गलत आहार विहार, अपच, कब्ज, ज्यादा दिमागी काम करना, धुंआ, दूस-यूँसकर खाना, अधिक घी, तेल, सफेद चीनी, तली भुनी चीजें, मैदाजन्य खाद्य, डिब्बाबंद खाद्य, अधिक पकाये गये खाद्य, अनमेल खाद्य का प्रयोग, व्यायाम का अभाव, रात्रि जागरण, प्रदूषण, ठंड लगना इत्यादि। 

परंतु जुकाम तो वास्तव में शरीर में जमा हुए विजातीय द्रव्यों को बाहर निकालने की प्रकृति की सरलतम प्रक्रिया है। 

उपचार :- एक दिन पूरा उपवास केवल गर्म पानी पर रहें। गुनगुना नींबू शहद का पानी ले सकते हैं। पानी में अदरक का रस, तुलसी का रस व शहद मिलाकर लें। पानी में नींबू का रस मिलाकर पीना चाहिए। उसके बाद दस भीगे हुए मुनक्का एवं दो भीगी हुई अंजीर खायें। विटामिन सी प्रधान भोजन का सेवन लाभदायक है। 

पेट पर मिट्टी पट्टी, एनिमा, जलनेति, कुंजल, गर्म पाद स्नान, भाप स्नान, धूपस्नान एवं सूखा घर्षण लाभदायक है। नमक के पानी के गरारे करें। सूर्यतप्त हरी बोतल का पानी पीयें। यदि जुकाम पुराना हो तो पीली बोतल का पानी पीयें। 

श्वास प्रश्वास, गोमुखासन, सर्वांगासन, पश्चिमोत्तानासन, सूर्यभेदन प्राणायाम आदि आसन करें और खुली हवा में रहें। 

जुकाम (Cold) 

लक्षण : नाक से पानी बहना, छीके आना, ठंड लगना व सिर भारी -भारी प्रतीत होना। साँस लेने में कठिनाई होती है। कभी-कभी हल्का-या बुखार भी हो जाता है, काम करने का मन नहीं करता तथा बात-बात पर गुस्सा आता है। 

कारण : गलत आहार विहार, अपच, कब्ज, ज्यादा दिमागी काम करना, धुंआ, दूस-यूँसकर खाना, अधिक घी, तेल, सफेद चीनी, तली भुनी चीजें, मैदाजन्य खाद्य, डिब्बाबंद खाद्य, अधिक पकाये गये खाद्य, अनमेल खाद्य का प्रयोग, व्यायाम का अभाव, रात्रि जागरण, प्रदूषण, ठंड लगना इत्यादि। 

परंतु जुकाम तो वास्तव में शरीर में जमा हुए विजातीय द्रव्यों को बाहर निकालने की प्रकृति की सरलतम प्रक्रिया है। 

उपचार :- एक दिन पूरा उपवास केवल गर्म पानी पर रहें। गुनगुना नींबू शहद का पानी ले सकते हैं। पानी में अदरक का रस, तुलसी का रस व शहद मिलाकर लें। पानी में नींबू का रस मिलाकर पीना चाहिए। उसके बाद दस भीगे हुए मुनक्का एवं दो भीगी हुई अंजीर खायें। विटामिन सी प्रधान भोजन का सेवन लाभदायक है। 

पेट पर मिट्टी पट्टी, एनिमा, जलनेति, कुंजल, गर्म पाद स्नान, भाप स्नान, धूपस्नान एवं सूखा घर्षण लाभदायक है। नमक के पानी के गरारे करें। सूर्यतप्त हरी बोतल का पानी पीयें। यदि जुकाम पुराना हो तो पीली बोतल का पानी पीयें। 

श्वास प्रश्वास, गोमुखासन, सर्वांगासन, पश्चिमोत्तानासन, सूर्यभेदन प्राणायाम आदि आसन करें और खुली हवा में रहें। 

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