
नाड़ी दुर्बलता (Nervous Weakness)
(Neurasathenia)
यह आधुनिक सभ्यता का रोग है।
लक्षण:- अनिद्रा, पाचनक्रिया सबंधी विकार, यौन संबंधी अनियमितताएँ, भय, कोष, चिन्ता, ईष्यां, चिड़चिड़ापन, दुविधा में रहना किसी भी कार में भन न लगना, शक, शरीर गिरा गिरा रहना, साहस का समाप्त हो जाना आत्महत्या की प्रवृत्ति, एकांत प्रियता, एक स्थान पर शान्ति न मिलना इत्यादि।
कारण :- मानसिक एवं शारीरिक कार्य की अधिकता, मानिसक तनाव, हताश होना (Depression), नशीले पदार्थों का सेवन, असंतुलित आहार विहार, अधिक मैथुन, शरीर में धातु की कमी।
उपचार :- इस रोग के रोगी को सहानुभूति की अधिक आवश्यकता होती है। उसके साथ मधुरवाणी से बोलिये। रोगी जितनी देर सोये, सोने देना चाहिये, जगाना नहीं चाहिए।
रोगी ने अतीत में जो सफलातायें प्राप्त की हों, अच्छे काम किए हों, अच्छे स्थान की यात्रा की हो, उसकी स्मृति करानी चाहिए। रोगी की इच्छाओं को महत्व देना चाहिए। उसके साथ बहस नहीं करनी चाहिए।
रोगी को खेल, हास्य परिहास इत्यादि द्वारा मनोरंजन में लगाना चाहिए। उसकी आवश्यकतानुसार उसे आराम करने दें।
खाने-पीने के बारे में भी रोगी की इच्छा पूरी करनी चाहिए तथा अपनी तरफ से दबाब नहीं देना चाहिए।
गाजर और खीरे का रस, नारियल पानी, दूब का रस, रात को मुनक्का भिगोकर सुबह खायें और पानी भी पियें। प्रातः उठते ही पानी पियें।
चोकर सहित आटे की रोटी। अंकुरित चने, मूँग, मूँगफली एवं मौसम के अनुसार ताजे फल, कच्चा सलाद लें। दही बहुत श्रेष्ठ है।
मिठाई और गरिष्ठ भोजन का त्याग करें।
सूर्यतप्त नीली बोतल का पानी पियें। एनिमा, मिट्टी पट्टी, कटिस्नान, मेहनस्नान, साप्ताहिक चादर लपेट, रीढ़ का गर्म ठंडा स्नान, सिर पर गीला तौलिया। प्रातः भ्रमण लाभदायक है।
उत्तानपादासन, सर्वांगासन, पवनमुक्तासन, चक्रासन, अर्धमत्स्येन्द्रासन करें।
शवासन, योगनिद्रा, ध्यान पा अभ्यास करें।