
निम्न रक्तचाप (Low Blood Pressure)
(Hypotension)
इसमें धमनियों द्वारा रक्त फेंकने की क्रिया न्यून हो जाती है। अत्यधिक निम्न रक्तचाप का अर्थ है कि रक्तसंचार काफी धीमी गति से हो रहा है जिसमें मस्तिष्क एवं शरीर के अन्य अंगों को उचित मात्रा में पोषण नहीं मिल रहा है तथा शरीर में रक्त की मात्रा भी कम हो गई है।
लक्षण :- सुस्ती, किसी काम में मन न लगना, थकान, सिर दर्द, स्मरण शक्ति का लोप, चक्कर आना एवं आत्महत्या की बात सोचना।
कारण :- असंतुलित आहार, प्रोटीन व विटामिन बी एवं सी की कमी,
रक्तस्राव के कारण भी रक्तचाप गिर जाता है। रक्तहीनता, हैजा, तीव्रवमन, टाईफाईड, आग से जलने के बाद शरीर में तरल की कमी, मानसिक कार्य की अधिकता, रजोधर्म सम्बंधी विकार एवं अंतःस्रावी ग्रंथियों की विकृति. मानसिक भावुकता, कब्ज इत्यादि की स्थिति में रक्तचाप प्रायः कम रहने लगता है। निम्न रक्तचाप पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में ज्यादा होता है।
उपचार :- इसमें औषधि का व्यवहार केवल निरर्थक ही नहीं, वरन्
हानिकारक भी है। पर्याप्त पानी पीना, रसाहार, फल, सब्जियाँ, अंकुरित इत्यादि का सेवन, उबली हुई तरकारी, सब्जियों का सूप, दूध, दही, शहद, भिगोई हुई किशमिश या मुनक्का, चोकर समेत आटे की रोटी लेना उचित है। पुदीने का पानी तथा चुकन्दर का रस बहुत ही उपयोगी है। खाली पेट तुलसी के ताजे पत्तों पर शहद लगाकर चबाइये।
गुनगुने पानी का एनिमा, पेट पर मिट्टी पट्टी, रीढ़ की मालिश, गीली चादर लपेट, साप्ताहिक वाष्पस्नान, गर्म पादस्नान, नहाने से पूर्व 10-15 मिनट
का सूखा घर्षण स्नान करें।बड़ी आँत की सूजन (Colitis)
लक्षण-बड़ी आँत की सूजन दो प्रकार की होती है-
- श्लेष्मिक बृहव आंत्र प्रदाह (Mucous Colitis) – कब्ज, उदर में बेचैनी, अनियमित शौच एवं आँव का आना।
- क्षतयुक्त बृहद आंत्र प्रदाह (Ulcerative Colitis)- आँव एवं मवाद के साथ खूनी दस्त का आना।
कारण-पुरानी कब्ज, अम्ल प्रधान खाद्य, मिर्च मसाले, शराब एवं अन्य नशा, तनाव इत्यादि।
उपचार-गर्म पानी एवं रसाहार पर 2-7 दिन रहें। गाजर का रस, पत्ता गोभी का रस, कच्चे पपीते का रस बहुत ही उपयोगी है। खट्टे फलों के रसाहार से परहेज करें।
उसके बाद कुछ दिनों तक अपक्वाहार पर रहें।
गेहूं के ज्वारे का रस लें।
नित्य मिट्टी पट्टी एनीमा अवश्य करें। छाछ का एनीमा विशेष उपयोगी है।
कटि स्नान करें। गहरी साँस लें। सूर्य तप्त नीली बोतल का पानी बहुत लाभदायक है।