भगन्दर/नासूर (Fissure/Fistula)
गुदा के मुँह की त्वचा में दरार पड़ जाती है जो वहाँ की माँसपेशियों तक गहरी पहुँच जाती है।
लक्षण :- गुदा के आसपास दर्द, शौच जाते समय असहनीय पीड़ा, कभी कभी खून भी आ जाता है तथा गुदा के चारों तरफ खुजलाहट।
कारण :- इसका मुख्य कारण गलत आहार जनित पुरानी कब्ज जिसके कारण सख्त मल आता है जो गुदा के मुँह की रचना एवं झिल्ली को तोड़ देता है।
उपचार :- सबसे पहला काम है कब्ज को समाप्त करना एवं मल का नियमित रूप से नरम होना।
अतः चार-पाँच रोज तक केवल रसाहार (मौसमी, संतरा, अनानास, गाजर, सफेद पेठा, लौकी इत्यादि का रस एवं नींबू पानी) पर रहें। फिर पाँच दिन तक फलाहार मौसम के फल (सेब, पपीता, अमरूद, अंगूर इत्यादि) लें। फिर उसके बाद सामान्य संतुलित आहार पर आ जायें जिसमें चोकर समेत आटे की रोटी, छिलके समेत दालें, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, अंजीर, खजूर आदि लें।
चीनी या उससे निर्मित खाद्य, मिर्च मसाले, तली भुनी चीजें बिलकुल न लें।
पानी पर्याप्त मात्रा में लें।
नीम के पानी से गुदा को धोना, प्रतिदिन गरम पानी का एनिमा, पेट एवं गुदा पर मिट्टी पट्टी एवं प्रतिदिन सूखा घर्षण करें।
सूर्यतप्त हरी बोतल का पानी पीयें।
नियमित व्यायाम, योगमुद्रासन, उत्तानपादासन, सुप्त पवनमुक्तासन, वज्रासन, भुजंगासन, शलभासन, शवासन एवं योगमुद्रा आदि करें।