मलटीपल स्कलेरोसीस
(Multiple Sclerosis)
यह एक दीर्घकालिक (Chronic) एवं बढ़ने वाला स्नायुतंत्र (Nervous System) का रोग है। यह नसों को ढकने वाले मायालीन (Myelin) पदार्थ को नष्ट करता है जिसकी वजह से स्नायु की संचार (Communication) प्रणाली विकृत हो जाती है। अतः उस स्नायु से प्रभावित अंग का कार्य धीमा पड़ जाता है या रुक जाता है। यह महिलाओं में अधिक पाया जाता है।
लक्षण :- इसके लक्षण विभिन्न रोगियों में विभिन्न होते हैं। पहले तेज लक्षण दिखाई देंगे जो सप्ताह, महीनों या वर्षों के लिये लुप्त हो जाते हैं। इसका दोबारा आक्रमण कभी भी हो सकता है या जीवन भर नहीं हो।
आरम्भ में बहुत अधिक थकावट, संतुलन (Balance) एवं ताल-मेल (Co-ordination) कम हो जाना, हाथ पैरों की कमजोरी या सुन्न होना, यौन इच्छा का कम होना, आँखों की समस्यायें, वाणी समस्यायें एवं मूत्रालय का नियंत्रण खोना इत्यादि में से एक या अधिक लक्षण प्रभावित स्नायु के अनुरूप होते हैं।
कारण : शरीर में असंतुलित आहार विहार जनित विजातीय द्रव्यों (Toxins) का इकट्ठा होना, तीव्र रोग (Acute disease), मानसिक तनाव इत्यादि। इसके रोगियों में पिछले दो वर्षों के दौरान हुए कुछ अनचाहे मानसिक आघात अवश्य मिलते हैं।
उपचार :- आरम्भ में चार-पाँच रोज तक रसाहार (फल, सब्जियों के रस) पर उपवास करें। इस दौरान गर्म पानी का एनिमा लेते रहें। उसके बाद अपक्वाहार (फल, सब्जियाँ, अंकुरित इत्यादि) लें।
मौसम के सभी फल एवं सब्जियाँ लाभदायक हैं। गाजर, पत्तागोभी, खीरा, मूली, चुकन्दर, टमाटर विशेष उपयोगी है।
विटामिन बी एवं ई बहुत महत्वपूर्ण है जो अंकुरित अन्न में भरपूर मात्रा
में पाया जाता है।
पेट पर मिट्टी की पट्टी, एनीमा, वाष्प स्नान, रीढ़ स्नान करें। थकावट न होने दें। मानसिक चिन्ताओं से दूर रहें। योगमुद्रासन करें एवं शवासन, योगनिन्द्रा का अभ्यास करें