हिस्टीरिया (Hysteria) 

हिस्टीरिया (Hysteria) 

लक्षण :- हिस्टीरिया का जब दौरा पड़ता है तो हाथ-पैर अकड़ जाते है. चेहरे की आकृति बिगड़ जाती है, बिना किसी कारण के चिल्लाना बडबड़ाना, मारना-पीटना, साँस लेने में कठिनाई, पेट और छाती में दर्द, गले में कुछ फंस जाने का आभास, शरीर को छूने मात्र से ही दर्द का अनुभव होना, प्रकाश की ओर देखने में असमर्थता। 

इसके दौरे में पेट से गले तक वायु का गोला-सा उठता है और मूर्खा आ जाती है। 

कारण :- यह रोग प्रायः उन जवान महिलाओं को होता है जिनकी मनोकामना पूर्ण नहीं होती और जो अपने को सदा अतृप्त मानकर मन में कुंठा या हीन भावना का अनुभव करती रहती हैं। शारीरिक या मानसिक आघात. तनाव, चिन्ता, शोक, डर, कब्ज या कोई अन्य बीमारी, मासिक धर्म की विकृति, पति के प्रति विद्वेष। 

उपचार :- दौरे के समय कपड़े ढीले कर दें एवं ताजा हवा लगने दें। पाँव के तलवे एवं हथेलियाँ मसलें। बेहोशी के समय उसके अंगूठे के नाखून में अपने अँगूठे का नाखून चुभोकर बेहोशी दूर करें। मुँह पर ठंडे पानी के छीटों से भी मूर्छा दूर होती है। हींग या प्याज काटकर सुंघाने से भी होश आ जाता है। 

पहले कुछ दिन रसाहार फिर फलाहार एवं अपक्वाहार बाद में संतुलित आहार पर आ जायें। जामुन बहुत उपयोगी है। शहद का उपयोग लाभदायक है। 

सकारात्मक विचारधारा (Positive Thinking) बनायें। 

सहवास संबंधी समुचित ज्ञान प्राप्त करें। 

ध्यान एवं योग निद्रा का अभ्यास करें। 

प्रतिदिन ठंडा स्नान, वायुस्नान, धूपस्नान करें। 

पदमासन, सिंहासन, वज्रासन, ताड़ासन, गर्भासन, उत्तानपादासन गोरक्षासन, कोनासन, उर्ध्वहस्तोनासन, भुजंगासन, शवासन, लाभकारी है। 

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *